पदयात्रा :
पदयात्रा क्या होती है? क्यों निकाली जाती है? क्या महत्व है?
विशेष महत्व वाले स्थानों - मंदिरों में दर्शन हेतु, तीर्थों पर स्नान हेतु, सत्संग हेतु विशेष अवसरों पर पैदल जाना पदयात्रा कहलाती है।
हमारे सनातन धर्म में त्याग का विशेष महत्व बतलाया है। भोग विलास से कोई आध्यात्मिक प्राप्ति नही होती है। भोग तो इस भौतिक संसार में रोग ही पैदा करतें और पतन का कारण बनते हैं किन्तु उन्नति के मार्ग हेतु त्याग का मार्ग अपनाना पड़ता है।पदयात्रा या पैदल यात्रा भी त्याग का ही एक रुप है।
पदयात्रा मार्ग में पड़ने वाले स्थानों - ग्रामों में सत्संग, प्रवचन, औषधि वितरण, दीवार लेखन, जन जागरण, पीड़ितों की सेवा आदि अनैक परमार्थिक कार्य होते है जो कि वाहन- यात्रा से कठिन है।
इसलिये युगों युगों से पदयात्रायें निकाली जाती रही है।
पदयात्रा कब निकाली जाती है?
सामूहिक मेलों-कुंभ पर्वों, मंदिरों के उत्सवों, विशेष सत्संगो, मनौति -कार्य पूरे होनें पर इत्यादि लाभ लेने हेतु स्थानीय परिस्थितियां और अवसर देखकर पदयात्रा निकाली जाती है।
कौन कौनसी जगह की पदयात्रा उचित है?
जिस जगह की पदयात्रा का उद्देश्य सात्विक हों, जनता का अहित नहीं हों, साधुजनों की सेवा का अवसर मिलें व उनकें अमृत वचन-आशीर्वाद मिलें उन सभी जगह पदयात्रायें शुभ है।
कौन भाग ले सकता है?
वे सभी जन जिनमें त्याग की भावना हों, शरीर से स्वस्थ हों, परमार्थ का उद्देश्य मन में हों, पाप मुक्त होने की चाहत हों ऐसे जन अकेले या सामूहिक पदयात्रा में भाग ले सकते हैं।
प्रसिद्ध पदयात्रायें कौन सी है?
१- गोवर्धन परिक्रमा
२- ८४ कोश की परिक्रमा
३- बद्रीनाथ जी की पदयात्रा
४- केदारनाथ जी की पदयात्रा
५- द्वारिका जी की पदयात्रा
६- जगन्नाथपुरी जी की पदयात्रा
७- खाटूश्याम जी की पदयात्रा
८- बाबारामदेव जी की पदयात्रा
९- गायत्री शक्तीपीठ वाटिका की पदयात्रा
१०- विख्यात मंदिरों की पदयात्रायें